वैज्ञानिक दरअसल मानव मस्तिष्क की नकल के आधार पर बड़ी-बड़ी डेटा तकनीकों का उपयोग कर इसके लिए एक डिजिटल मैप बना रहे हैं। इससे भीउ़-भाड़ वाले इलाकों में यातायात जाम संबंधी जानकारी पहले ही प्रसारित की जा सकेंगी। हियर टेक्नोलॉजी की एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक आधारित कंपनी ब्रेन स्थान और परिवहन संबंधी डेटा की आपूर्ति करता है। कंपनी ने हाल ही एक ट्रैफिक पूर्वानुमान लगाने संबंधी प्रतियोगिता का आयोजन किया था। शोधकर्ताओं ने कहा कि इस पा्रतियोगिता में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग कर प्रतिभागियों ने मौसम संबंधी सटीक अनुमान लगाए थे। कंपनी का कहना है कि वे मशीन लर्निंग प्रोग्राम को और बेहतर प्रशिक्षित कर एआइ के जरिए मौसम के पूर्वानुमान की तरह ही शहरों के टै्रफिक संबंधी पूर्वानुमान भी प्रसारित कर सकते हैं।
हालांकि चालकों की मनमानी और मनमाने फैसले फिर भी जाम लगा सकते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रतियोगिता ने उम्मीद जगाई है कि अल सुबह ही मौसम की तरह हम शहर के ट्रैफिक का हाल भी बता सकते हैं। प्रतियोगिता के परिणाम बताते हैं कि हमारे तंत्रिका नेटवर्क की ही तरह ये जटिल कम्प्यूटेशनल सेटअप विशाल डेटा भ्संडार से कठिन से कठिन पैटर्न को ढूंढ सकते हैं।
भविष्य की जरुरत हैं ये सिस्टम
शोध के प्रमुख वैज्ञानिक और ऑस्ट्रिया स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड रिसर्च इन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के संस्थापक माइकल कोप ने कहा कि जिस तेजी से इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ रही है ऐसा सिस्टम हमारे लिए भविष्य के ट्रैफिक की जरुरत है। मान लीजिए कि आने वाले 10 सालों में 10 फीसदी इलेक्ट्रिक कारें हमारी सड़कों पर बढ़ जाएं तो हम उस दबाव का सामना कैसे करेंगे। इससे होने वाले सीओ२ उत्सर्जन को रोकने के हमारे पास क्या उपाय हैं? ऐसे में ट्रैफिक को सुगम बनाने से काफी राहत मिल सकती है। क्योंकि हम हर कार के लिए तो हॉट लेन नहीं बना सकते। इसलिए आज हम ट्रैफिक दबाव के उस बिंदू पर पहुंच गए हैं जहां हमें कंप्यूटर पर ट्रैफिक के पूर्वानुमान के लिए आश्रित होना ही पड़ेगा।
कोप ने बताया कि वे अभी जर्मनी, तुर्की और रूस के शहरों के यातायात डेटा का उपयेाग कर मशीनों को प्रशिक्षित कर रहे हैं। ये सभी डेटा रंगों में हैं। हरा रंग का कोड गति, नीला दिशा और लाल रंग ट्रैफिक घनत्व को दर्शाता है।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/2GtRB3s
via IFTTT
0 Comments
Post a Comment