इस समय वे अपने 8 हजार वैज्ञानिकों की टीम के साथ देश में पीपीई की किट की कमी को पूरा करने के लिए हैंड सैनिटाइजऱ और वेंटिलेटर, सस्ते चिकित्सकीय उपकरण बना रहे हैं। रेड्डी ने बताया कि वे अब तक 30 हजार से ज्यादा सैनिटाइजर की बोतलें दिल्ली पुलिस, सशस्त्र बलों और अन्य सरकारी एजेंसियों एवं फ्रंटलाइन चिकित्सकों-नर्सिंगकॢमयों वितरित कर चुके हैं। अब हम प्रतिदिन 10 हजार लीटर हैंड सैनिटाइजऱ का उत्पादन करने में सक्षम हैं। जब भारत में मामलों की संख्या 30 के पार हो गई तब डीआरडीओ ने कोरोना का मुकाबला करने के लिए उत्पादों पर काम करना शुरू कर दिया। पीपीई जैसे अत्यावश्यक उपकरण हमारे रक्षा वैज्ञानिक बना रहे हैं। हम उपकरणों को ससता और पोर्टेबल बना रहे हैं क्योंकि स्वास्थ्य देखभाल वस्तुओं की मांग बहुत बड़ी है और सप्लाई बहुत कम।

8 हजार से ज्यादा वैज्ञानिकों का नेतृत्व संभालते हैं डीआरडीओ के चेयरमैन रेड्डी

डॉ. सतीश ने बताया कि देशभर में मौजूद डीआरडीओ के प्रत्येक वैज्ञानिक और प्रयोगशाला में काम कर रहे करीब 8 हजार रक्षा वैज्ञानिक और तकनीकी कर्मचारी दिन-रात वायरस से मुकाबला करने में जुटे हुए हैं जो 15 डीआरडीओ प्रयोगशालाओं में काम कर रहे हैं। अभी तक डीआरडीओ के वैज्ञानिक फ्रंटलाइन चिकित्सकों-नर्सिंगकर्मचारी के लिए 3डी प्रिंटिंग की मदद से फेस शील्ड, सबमरीन में इस्तेमाल होने वाले सूट से बायो सूट बनाया है जिसका अभी 7 हजार प्रतिदिन उत्पादन है जो जरुरत के अनुसार 15 हजार तक बढ़ाया जा सकता है। ऐसे ही मारूत नाम का ड्रोन बनाया है जो ब्लड सेंपल एकत्र कर ला सकता है और जरूरी सामानों की डिलीवरी कर सकता है। इसके अलावा वेंटिलेटर और फुल बॉडी डिस्इनफेक्शन चैम्बर बनाया है। डीआरडीओ सहयोगी कंपनियों के साथ अभी चार दिन में एक डिस्इनफेक्शन चैम्बर का उत्पादन कर रही है।

8 हजार से ज्यादा वैज्ञानिकों का नेतृत्व संभालते हैं डीआरडीओ के चेयरमैन रेड्डी

इसके अलावा डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने जैफी मेड नाम का रोबोट भी बनाया है जो अतिसंवेदनशील इलाकों, हॉटस्पॉट और आइसोलेशन वार्ड में फ्रंटलाइन चिकित्सकों-नर्सिंगकर्मचारी को रोगी से होने वाले कोरोना केसंक्रमण से बचाएगा। इसे आसानी से रिमोट के जरिए संचालित कर सकते हैं और अपने वजन जितना भार आसानी से उठा सकता है। अहमदनगर स्थित डीआरडीओ की एक प्रयोगशाला ने पूरे शरीर को संक्रमण मुक्त करने वाले इस चैंबर को डिडजाइन किया है जिसे पसर्नल सैनिटाइजेशन एन्क्लोजर कहते हैं। यह चैंबर एक समय में एक व्यक्ति को संक्रेमणरिहत करने के लिहाज से डिजाइन किया गया है। इस चैंबर में प्रवेश करने के बाद पैर से एक पैडल को चलाने से शरीर की सफाई शुरू हो जाती है। चैंबर में प्रवेश करने के 25 सेकंड में ही वायरस से मुक््रत हो जाते हैं। इसमें 700 लीटर सैनिटाइजर संग्रह किया जा सकता है जिससे लगभग 650 कमर्चारी संक्रमण free हो सकते हैं।

8 हजार से ज्यादा वैज्ञानिकों का नेतृत्व संभालते हैं डीआरडीओ के चेयरमैन रेड्डी

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