कोरोना वायरस से संक्रमित ऐसे रोगी जिन्हें आइसीयू में रखा गया हो उनकी देखभाल करने के दौरानखुद भी संक्रमित होने का खतरा रहता है। 10 अप्रेल तक दुनिया भर में 208 डॉक्टर और नर्स संक्रमण के कारण दम तोड़ चुके हैं। फ्रंटलाइन में काम कर रहे डॉक्टर्स, नर्स और अन्य मेडिकल स्टाफ को ही संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा होता है। इस समस्या को देखते हुए तीन भारतीय युवतियों ने कोविड-19 कोरोना वायरस रोगियों की निगरानी के लिए एक मिनी रिमोट आइसीयू (गहन चिकित्सा इकाई) बनाया है। बैंगलुरू में आइओटी सॉल्यूशंस स्टार्टअप चलाने वाली तीन आइटी प्रोफेशनल्स रंजना नायर, सांची पूवया और आराधना कन्नन अंबिली ने क्वारनटाइन में रह रहे रोगियों की निगरानी के लिए एक मिनी आइसीयू यूनिट बनाने की सोची ताकि ऐसे रोगियों की निगरानी सुनिश्चित की जा सके। दरअसल एक सेलिबिंटी नेअपने एक दर्जन कमरे वाले बंगले को रोगियों के क्वारनटाइन फैसिलिटी
के लिए तैयार करवा रहा था।

तीन भारतीय युवतियों ने बनाया मिनी रिमोट आइसीयू, कोरोना मरीजों के आ रहा काम

लेकिन समस्या यह थी कि वह आइसीयू जैसे महंगे उपकरण का वहन नहीं कर सकता था। ऐसे में उसकी मदद की इन तीनों युवतियों ने और एक सस्ता और पोर्टेबल आइसीयू बना दिया। यह एक साथ 100 से अधिक मरीजों पर निगरानी रख सकता है जिसकी मदद से चिकित्सक कभी और कहीं से भी नब्ज, सांस और सेहत की जांच कर सकते हैं। यह मिनी आइसीयू वीडियो के जरिए चिकित्सकों तक मरीज की पल-पल की जानकारी दिखाता है। यह आर्अिफिशियल इंटेलीजेंस से लैस एक वाई-फाई से चलने वाला उपकरण है जो सटीक श्वसन निगरानी प्रणाली पर आधारित है। यह रोगी से 3 फीट की दूरी से भी रासेगी की सांस की दर को ट्रैक कर सकता है और ऐप को डेटा भेज सकता है।

तीन भारतीय युवतियों ने बनाया मिनी रिमोट आइसीयू, कोरोना मरीजों के आ रहा काम

ऐप इस डेटा का विश्लेषण कर सांस लेने की दर में भारी उतार.चढ़ाव की जानकारी देता है। डॉक्टर इस जानकारी का उपयोग करके यह पता लगा सकते हें कि अब इलाज किस दिशा में किया जाना चाहिए। डिवाइस ऑडियो और वीडियो स्ट्रीमिंग में भी सक्षम है जो गंभीर रूप से बीमार रोगियों की निगरानी के लिए विशेष रूप से उपयोगी होगा।



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