खुद को 'वन हिट वंडर' कहने वाले ललितेश ने गूगल के साथ 12 साल काम किया है। इस दौरान वे गूगल की कोर टीम केसदस्य के रूप में गूगल इंडिया, गूगल इंडिया मैप और गूगल मैप मेकर जैसे महत्त्वकांक्षी प्रोजेक्ट से जुड़ रहे। उनका कहना है कि गूगल मैप मेकर एकमात्र ऐसा उत्पाद है जिसे मैंने बड़े पैमाने पर बनाया है। वे मैप के अलावा स्पेस मिशन के लिए रोबोट भी बनाए हैं। वे गूगल के सह-संस्थापकों लैरी पेज और सेर्गेई ब्रिन और गूगल के सीईओ एरिक श्मिट एवं अपने अंतिम प्रोजेक्ट एंड्रॉइड किटकैट पर सुंदर पिचाई के साथ काम कर चुके हैं। आइआइटी बॉम्बे से इंजीनियरिंग करने वाले ललितेश ही कोरोना वायरस के सबसे सफल भारतीय ऐप आरोग्य सेतु के निर्माता हैं।

डिजिटल इम्यूनिटी देगा ऐप
सरकार की सलाहकार समिति के सदस्य और गूगल इंडिया के संस्थापक ललितेश का कहना है कि आरोग्य सेतु ऐप कोविड-19 वैक्सीन के आपने तक हमें डिजिटल प्रतिरक्षा बनाने में मदद करेगा। यह ऐप अन्य उपयोगकर्ताओं का डेटा रिकॉर्ड करता है और इसका विश्लेषण कर य्रह पता लगाया जा सकता है कि आप बीते दिनों संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में तो नहीं थे। सरकार हॉटस्पॉट और सीओवीआईडी-19 रोगी के संपर्क में आए लोगों का पता लगाने के लिए ऐप के DATA से प्राप्त सूचना का उपयोग कर सकती है। ललितेश ने बताया कि लोगों को इस बात का डर सता रहा है कि इस ऐप से उनकी गोपनीयता को खतरा हो सकता है। लेकिन ऐसा नहीं है। दरअसल, व्यक्तिगत डेटा केवल आपके फोन नेटवर्क पर ही रहता है और इसका उपयोग सरकार द्वारा केवल तभी किया जाता है जब उन्हें वायरस के संक्रमण का जोखिम लगेगा। सरकार को इस ऐप पर भरोसा है।

भारत सरकार के आरोग्य सेतु ऐप के पीछे इनका तकनीकी दिमाग है

उनका कहना है कि यह एप्लिकेशन आने वाले महीनों में अर्थव्यवस्था को अनलॉक करने में भी मदद कर सकती है। ललितेश का कहना है कि इस ऐप का लाभ तभी मिल सकेगा जब बड़े पैमाने पर इसे डाउनलोड किया जाएगा। आरोग्य सेतु एक डिजिटल इनोक्यूलेशन की तरह है जो परिस्थितियों के बिगडऩे पर आपकी मदद करेगा। ललितेश के मुताबिक 8 करोड़ लोग प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से हमारी आय 90 फीसदी हिस्सा हैं। अगर ये 8 करोड़ (80 मिलियन) लोग एक साथ इस ऐप के प्लेटफॉर्म पर आ जाते हैं तो हमारे पास लगभग 30 करोड़ (300 मिलियन)लोगों का एक नियंत्रण क्षेत्र (कन्टेनमेंट ज़ोन) हो सकता है। यह उस समय तक अर्थव्यवस्था को अनलॉक करने के लिए एक उपकरण के रूप में काम करेगा जब तक हमारे पास वायरस का कोई कारगर इलाज नहीं आ जाता।



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