विज्ञान फंतासी की तरह उड़ने वाली कार हमारा हमेशा से सपना रही है। लेकिन एमआइटी (Massachusetts Institute of Technology) इंजीनियर्स का मानना है कि भविष्य में हर घर में कोई उड़ने वाली कार नहीं बल्कि ड्राइविंग ड्रोन (Driving drones) होंगे। एमआइटी विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस एंड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लेबोरेट्री की टीम ने आठ मिनी-क्वाडकॉप्टरों के एक बेड़े में पहिए लगाकर ड्राइविंग और उड़ान भरने का परीक्षण किया। कार्डबोर्ड और फैब्रिक से बने इस छोटे ड्रोन ने शहर के चारों ओर उड़ान भरी। उनका मानना है कि किसी फ्लाइंग कार की तुलना में बिना पहियों का ड्रोन 14 प्रतिशत ज्यादा दूर तक उड़ सकता है।

यानी भविष्य में हमारे शहरों के ऊपर कारें नहीं ड्रोन मंडराएंगे? जीहां, यह बहुत हद तक संभव है। अब वैज्ञानिक भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि फ्लाइंग कार की तुलना में ड्रोंन अधिक बेहतर विकल्प हैं। यहां तक की अब तक विकसित ज्यादातर कथित फ्लाइंग कारों का डिजाइन भी ड्रोन से ही मेल खाता है। चीन में विकसित किए जा रहे ई-हैंग 184 ऑटोनोमस एरियल व्हीकल एक क्वाडकॉप्टर जैसा ऑल-इलेक्ट्रिक विमान है। इसमें बस एक सीट है। दरअसल, बैट्री से चलने वाले ड्रोन अधिक कॉम्पैक्ट, कलाबाज और पर्यावरण के अनुकूल हैं, जो उन्हें शहरी वातावरण के लिए उपयुक्त बनाते हैं।

ड्रोन सॉफ्टवेयर होंगे अगले पायलट
ये सॉफ्टवेयर पायलटों की एक नई पीढ़ी है। जो ऑटो-पायलट वाहनों या ड्रोन के लिए विकसित की गई है। जल्द ही इंसानों की तुलना में ये सॉफ्टवेयर्स सबसे अधिक समय तक उड़ान भरने का रेकॉर्ड बनाएंगे। विशाल फ्लाइंग डेटा के संयोजन से, ड्रोन-निययंत्रित सॉफ्टवेयर एप्लीकेशंस जल्द ही दुनिया के सबसे अनुभवी पायलट बनने के लिए तैयार हो रहे हैं। एक निजी पायलट बनने के लिए भी कम से कम 40 घंटो की हवाई उड़ान का अनुभव जरूरी है। ऐसे ही कॉमर्शियल प्लेन में को-पायलट बनने के लिए 1000 घंटो की हवाई उड़ान का अनुभव जरूरी है। ड्रोन सॉफ्टवेयर जैसे ऑटो-पायलट के साथ यात्रा करने के लिए केवल 17 फीसदी लोग ही तैयार हैं।



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