1.1 का होगा ट्रेंड
आज ज्यादातर कार टैक्सी 4 सीटर होती हैं। लेकिन आने वाले सालों में बड़ी टैक्सी प्रोवाइडर कंपनियां दो सीटर वाले छोटे कॉम्पैक्ट ऑटोनोमस पॉड से सेवाएं देने लगेंगी। यह सस्ता और सुगम यातायात होगा। इतना ही नहीं, यह ट्रेंड धीरे-धीरे सार्वजनिक वाहनों जैसे बसों और ट्राम में भी देखने को मिलेगा। वहीं कम दूरी के लिए इलेक्ट्रिक स्कूटर उपलब्ध होंगे। इनका इस्तेमाल कर हम पिकअप प्वॉइंट तक भी जा सकेंगे। २०२४ तक विकसित देशों से होता हुआ यह ट्रेंड भारत के मेट्रो शहरों में भी देखने को मिल सकता है।
स्वच्छ ऊर्जा-ईंधन का उपयोग
2030 तक हम एक ऐसे भविष्य की ओर बढऩे लगेंगे जहां वाहनों से लेकर घरों तक हमारी ऊर्जा आरैर ईंधन का सबसे बड़ा जरिया सोलर एनर्जी, जिओ थर्मल पॉवर, पवन ऊर्जा और बायोईंधन होगा। इससे न केवल जींवांश्म ईंधन बचेगा, जलवायु परिवर्तन को भी नियंत्रित किया जा सकेगा।
567 अरब डॉलर का बाजार
ट्रेंड पंडितों की मानें तो ऑटोनोमस कारों का बाजार 2026 तक 567 अरब डॉलर से ज्यादा का होगा। इतना ही नहीं उस समय तक इन कारों के नए अपडेट वर्जन तेजी से लोगों की पसंद बन जाएंगे। इसी के साथ ऑटोनोमस कारों का बाजार साल 2030तक अकेले 4 और 5 पीढ़ी के स्वाचालित वाहनों का बाजार 60 अरब डॉलर का होगा।
मैगलेव ट्रेन
मैग्नेटिक लेविटेशन या मैगलेव ट्रेन होवर अपने ट्रैक से 4 इंच ऊपर चलेंगी और इन्हें इलेक्ट्रिकली चाज्र्ड चुंबक के जरिए तेज गति प्रदान की जाएगी। परीक्षण में ट्रेप को बहुत आरामदायक और सुरक्षित माना गया है। अब तक की टॉप स्पीड 603 किमी प्रतिघंटा रही है। ये फिलहाल जर्मनी और चीन में संचालित हो रही हैं। 2030 तक ये सामान्य परिवहन के साधन बन जाएंगी।
सैटेलाइट आधारित एयर ट्रैफिक नियंत्रण व्यवस्था
हमारी आज की ट्रैफिक व्यवस्था छह दशक पुरानी है। इसलिए भविष्य के परिवहन साधनों के लिए हमें नवीन ट्रैफिक नियंत्रण व्यवस्था विकसित करनी होगी। अमरीका वर्तमान में नेक्स्टजेन पर काम कर रहा है। यह एक उपग्रह-आधारित वायु यातायात नियंत्रण प्रणाली है जिसे 2025 तक व्यवहारिक बनाने पर काम चल रहा है। सटीकता और छोटे मार्गों को नियंत्रित करने के लिए जीपीएस तकनीक का उपयोग किया जाएगा। नेक्स्टजेन से उम्मीद है कि वह समय और ईंधन बचाने में सहयोगी होगा।
सेल्फ ड्राइविंग इलेक्ट्रिक बसें
निकट भविष्य में स्वचालित सिटी बसें और शटल परिचालन में होंगी। स्वायत्त वाहन ट्रैफिक लाइटों को पहचानने और संचार करने के लिए कैमरे, रडार और जीपीएस सिस्टम का उपयोग करेंगे। भविष्य की ये बसें पर्यावरण संरक्षण भी करेंगी। स्वचालित ड्राइविंग बसें पहले से ही चीन और जर्मनी में परिचालन में हैं और अमरीका में परीक्षण के दौर में हैं।
एलिवेटेड बसें
चीन ऐसी बस प्रणाली पर काम कर रहा है जो यातायात की भीड़ को कम करेगा। एलिवेटेड बस एक ऐसा ही वाहन है जो ट्रैफिक को खींचने का काम करता है। यह एक विशेष ट्रैक पर चलता है जो नियमित वाहनों को नीचे ड्राइव करने की अनुमति देता है। ट्रांजिट एलिवेटेड बस प्रणाली को वर्तमान में चीन में डिजाइन किया जा रहा है और उम्मीद है कि यातायात में 30 प्रतिशत की कमी आएगी।
फ्लाइंग होटल पॉड्स
ड्रोन का एक बेड़ा जो पोर्टेबल होटल के रूप में काम करेगा। कनाडा की एक कंपनी ने इसे डिजाइन किया है। यह एक मोबाइल ऑटोनोमस होटल है जो ड्रोन तकनीक का उपयोग करता है। ड्रिफ्टस्केप मेहमानों को सोते समय घूमने या विविध स्थानों पर नीचे ऊपर टहलने की सुविधा देता है। इसमें कई मॉड्यूलर इकाइयां होती हैं जिसमें भोजन और पेय तत्व शामिल हैं। इसमें बैठकर हम आकाश से 360 डिग्री में नजारों का आनंद ले सकते हैं।
स्मार्ट रोड
सड़कें परिवहन के भविष्य की नींव हैं, जो समाज को स्मार्ट गतिशीलता प्रदान करती हैं। एक विशिष्ट स्मार्ट रोड अधिक एनिमेटेड होगी, जो सेंसर, डेटा कैप्चर क्षमताओं और पर्यावरण में परिवर्तन के लिए उत्तरदायी होने का उपयोग करने वाले वाहनों और लोगों के साथ संवाद करने में सक्षम होगी। भविष्य की स्मार्ट सड़कें बिजली या गर्म पानी का उपयोग करके बर्फ को पिघलाने में सक्षम होंगी, जिससे यातायात दुर्घटनाओं में कमी आएगी।
बायसाइकिल शेयर प्रोग्राम
साइकिल शेयर कार्यक्रम यात्रियों को कम दूरी तय करने और एक सीमित क्षेत्र में घूमने के लिए साइकिल की सवारी उपलब्ध करवाएगा। इससे शहरी क्षेत्रों में यातायात को सुगम और तेज बनाया जा सकता है। कार चलाने की तुलना में बाइक चलाना ज्यादा अच्छा विकल्प है क्योंकि इससे कार्बन उत्सर्जन नहीं होता न ही यह पार्किंग की जगह घेरती है और आसानी से उपलब्ध भी हैं। साइकिल परिवहन का एक इको फ्रेंडली तरीका है और साथ ही सवारों को स्वस्थ व्यायाम करने का अवसर प्रदान करता है।
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