भारतीय मूल के 20 वर्षीय मिहिर गारीमेल्ला की रोबोट्स में रुचि दो साल की उम्र में हुई। एक रोबोटिक पेट डॉग के साथ खेलकर बड़े हुए मिहिर ने 10 साल की उम्र में ही अपने लिए एक असिस्टेंट रोबोट 'मोज़ार्ट' बना लिया जो उसे संगीत की कक्षा के दौरान गलतियां करने पर टोक देता था। यह रोबोट वायलिन की धुन सुनकर मिहिर को बता देता है कि वह किस जगह गलत तार या सुर छेड़ रहा है।

मधुमक्खियों से प्रेरित है डिज़ाइन
उनके बनाए फ्लाइबोट कम लागत के ड्रोन रोबोट हंै। वे अपने ड्रोन बोट्स को स्वचालित बना रहे हैं। इसमें उन्होंने सेंसर भी लगाए हैं जो आग, भूकंप और गैस रिसाव जैसी घटनाओं के दौरान फंसे हुए लोगों को आसानी से ढूंढ सके। इस छोटे रोबोट में चार रोटर्स लगे हैं। इसका डिजाइन मधुमक्खियों से प्रेरित है। उनका कहना है की ये ड्रोन सुरक्षा कर्मियों और आपदा प्रबंधन कर्मियों के लिए मददगार साबित होंगे।



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