तुर्की दुनिया का पहला देश बन गया है जिसने अचूक निशाना लगाने वाली मशीन गन से लैस ड्रोन 'सोनगर' को संवेदनशील स्थानों पर तैनात किया है। 225 किग्रा. वजनी इस ड्रोन में 200 राउंड गोलियां हैं जो 15 सेमी स्क्वायर से भी छोटे ऑब्जेक्ट को 200 मीटर दूर से भी निशाना बना सकता है। यह सिंगल शॉट के अलावा एक साथ 15 राउंड भी फायर कर सकता है। इतना ही नहीं यह 10 किमी के एरिया में 9200 फीट (करीब 3 किमी) की ऊंचाई तक उड़ सकता है। नाइट विजन के साथ यह 10गुना जूम पॉवर वाला ड्रोन है।
-भारत ड्रोन का इस्तेमाल कर टिड्डी भगाने वाला पहला देश बन गया है। कीनिया और रवांडा में तो ड्रोन की मदद से कीटनाशकों का छिउ़काव, मलेरिया के मच्छरों को मारने और लारवा पनपने की जगहों को नष्ट करने में भी काम ले रहे हैं।
-अमरीका स्थित फर्म 'एईवम' ने रैवन एक्स नाम का एक ड्रोन बनाया है। इसे खासतौर से छोटे उपग्रहों के लिए एक ऑटोनोमस, हवाई प्रक्षेपण प्रणाली के रूप में कार्य करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। 'एईवम' कंपनी का दावा है कि उनका बनाया रैवन एक्स दुनिया का सबसे बड़ा ड्रोन है, जो ऑटोनोमस रूप से करीब 1.6 किमी लंबे रनवे पर भी उतर सकता है। यह ड्रोन करीब 80 फीट लंबा (24 मीटर), 18 फुट (5.5 मीटर) ऊंचा और 60 फुट (पंखों का व्यास 18 मीटर) चौड़ा है। इसे 8 हजार वर्ग फुट (743 वर्ग मीटर) हैंगर में खड़ा किया जाता है। रैवन एक्स में नियमित विमान के समान ही जेट ईंधन का उपयोग होता है। 'एईवम' का कहना है कि रैवन एक्स पर मौसमी परिस्थितियों का कोई असर नहीं होता है और यह लगभग सभी जटिल परिस्थितियों में लॉन्च हो सकता है। इस ड्रोन का 70 प्रतिशत हिस्सा दोबारा उपयोग किया जा सकता है। लेकिन कंपनी इसे 100 फीसदी रीयूजेबल बनाने पर काम कर रही है। पूरी तरह से तैयार होने पर रेवन एक्स 180 मिनट प्रति लॉन्च की गति से अंतरिक्ष में पेलोड फायर करने में सक्षम होगा।
-ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा में गूगल की पैरेंटल कंपनी अल्फाबेट की विंग डिलीवरी शाखा को ड्रोन से डिलीवरी को हरी झंडी मिल गई है। ड्रोन के माध्यम से घरों तक सामान पहुंचाने की शुरुआत से रिटेल सेक्टर के अलावा डिलीवरी व्यवसाय में भी जबरदस्त बदलाव आएगा। सड़क यातायात में फंसे बिना सुरक्षित और शीघ्र पहुंचाने का यह सबसे सुगम साधन होगा। ऑस्ट्रेलिया में 70 हजार से ज्यादा उड़ानों का परीक्षण करने के बाद एफएए ने यह प्रमाण पत्र दिया है।
-गूगल की पैरेंटल कंपनी 'अल्फाबेट इंक' की विंग एलएलसी ने बीते साल 'ओपन स्काई' नाम का ऐप लॉन्च किया है। कंपनी का दावा है कि यह ऐप निजी ड्रोन के लिए बेहतर एयर ट्रैफिक नियंत्रक साबित होगा। कंपनी ने तीन महाद्वीपों में 80 हजार से ज्यादा ड्रोन उड़ानों का परीक्षण किया है। जैसे-जैसे डिलिवरी ड्रोन ज्यादा उन्नत ट्रैकिंग उपकरणों से लैस होते जाएंगे ओपन स्काई जैसे ऐप कम ऊंचाई पर उडऩे वाले ड्रोन के लिए एक एयर-ट्रैफिक प्रबंधन प्रणाली का आधार बन जाएंगे। इनके जरिए कंप्यूटर से ही ड्रोन को हवा में स्वचालित रूप से नियंत्रित किया जा सकेगा। इससे ड्रोन दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी।
-जापान का टोकुशिमा राज्य जहां नाका शहर के ऊपर उडऩे वाले छोटे मानव रहित ड्रोन अब इस जगह की पहचान बन गए हैं। दरअसल इस क्षेत्र में रोजगार और असुविधाओं के कारण स्थानीय लोग लगातार पलायन कर रहे हैं। लोगों को रोकने और पर्यटन आकर्षण बढ़ाने के लिए स्थानीय नगरपालिका ने इसे 'ड्रोन टूूरिज्म स्पॉट' के रूप में विकसित किया है। इसके लिए खास डिजिटल मैप भी बनाया गया है। ड्रोन उड़ाने के अलावा यहां होम डिलीवरी के लिए भी ड्रोन का उपयोग हो रहा है। इतना ही नहीं ड्रोन टूरिज्म को प्रमोट करने के लिए अब स्थानीय निकाय यहां ड्रोन रेस का आयोजन भी कर रहे हैं। साथ ही वन संपदा पर नजर रखने, पेड़ों की कटाई और उनके सुरक्षित परिवहन में भी ड्रोन काम आ रहे हैं।
-नीदरलैंड स्थित एयरबस समूह 'स्काईवेज प्रोजेक्ट' का परीक्षण कर रहा है। 'एयरबस' के नाम से कंपनी ने हाल ही सिंगापुर में ड्रोन डिलीवरी ट्रायल किया। इसमें मानव रहित ड्रोन बंदरगाहों पर खड़े जहाजों पर पैकेज पहुंचाएंगे। इन्हें खास लोडिंग परिचालनों को सुव्यवस्थित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। परीक्षण में ड्रोन ने 1.5 किलो सामान स्वचालित तकनीक का उपयोग कर पहुंचाया। इस दौरान ने ड्रोन ने 10 मिनट में करीब 2 किलोमीटर की उड़ान पूरी की।
-'ईसीजी स्मार्ट' कंपनी ने छोटा लेकिन शक्तिशाली मिनी क्वाड 'यू-ड्रोन' बनाया है जिसे 'यू-माइंड' नाम के खास उपकरण के जरिए अपने दिमाग से नियंत्रित किया जा सकता है। इस उपकरण को हैडसेट की तरह सिर पर पहनना पड़ता है। इसमें लगे सेंसर ड्रोन को सिग्नल भेजते हैं। ड्रोन दिमागी तरंगों और सिर के हिलने पर प्रतिक्रिया करता है जिससे हम इसे आसानी से हवा में 360 डिग्री पर मोड़ सकते हैं। 85 ग्राम वजनी क्वाडकॉप्टर डिजायन वाले इस ड्रोन को एक बार चार्ज करने पर 6 से 7 मिनट तक उड़ाया जा सकता है। इस ड्रोन में 8 मेगापिक्सल का कैमरा लगा हुआ है जिससे हाई डेफिनिशन वीडियो और फोटो लिए जा सकते हैं। हालांकि अभी यह परीक्षण दौर में है लेकिन भविष्य के पोर्टेबल ड्रोन की झलक देता है।
-स्पेनिश स्टार्टअप 'क्वांटरनियम' का हाइब्रिड ड्रोन संस्करण बैट्री-इलेक्ट्रिक मल्टीकॉप्टर 'हाइब्रिक्स 2.1' ने ड्रोन की उड़ानों के सभी रिकॉड्र्स को तोड़ते हुए 10 घंटे हवा में उड़ान भरकर नया विश्व रिकॉर्ड बनाया है। इसमें 16 लीटर का गैसोलीन बैटरी का इलेक्ट्रिक हाइब्रिड ड्राइव सिस्टम है। यह 360 डिग्री पर hd पिक्सल क्वालिटी में वीडियो और 40 मेगापिक्सल फोटो खींचने में सक्षम है। 2 स्ट्रोक इंजन वाले 'हाइब्रिक्स 2.1' का वजन करीब 13 किग्रा है। यह 10 किग्रा तक वजन ढो सकता है।
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